Couplets Poetry (page 294)
उन्हें ख़ुदा का अमल शर्मसार कर देगा
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
तर्क-ए-तअल्लुक़ात का कुछ उन को ग़म नहीं
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
सोचा था उन से बात निभाएँगे उम्र भर
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
रास्ते में मिल गए तो पूछ लेते हैं मिज़ाज
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
रखते हैं जो अल्लाह की क़ुदरत पे भरोसा
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
ख़ुदा जाने ये सोज़-ए-ज़बत है या ज़ख़्म-ए-नाकामी
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
दुनिया के इस इबरत-ख़ाने में हालात बदलते रहते हैं
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
बाँधा था ख़ुद ही आप ने पैग़ाम-ए-इल्तिफ़ात
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
ये और बात कि उन को यक़ीं नहीं आया
मुग़ल फ़ारूक़ परवाज़
नासेह यहाँ ये फ़िक्र है सीना भी चाक हो
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
मैं और ज़ौक़-ए-बादा-कशी ले गईं मुझे
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
कटती किसी तरह से नहीं ये शब-ए-फ़िराक़
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
इस दर्द-ए-जुदाई से कहीं जान निकल जाए
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
फ़लक ने भी सीखे हैं तेरे ही तौर
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
ऐ दिल तमाम नफ़अ है सौदा-ए-इश्क़ में
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
ऐ दिल तमाम नफ़अ' है सौदा-ए-इश्क़ में
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
'आज़ुर्दा' मर के कूचा-ए-जानाँ में रह गया
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
मैं अपने आप लड़ूँगा समुंदरों से जंग
मुबीन मिर्ज़ा
ये तसर्रुफ़ है 'मुबारक' दाग़ का
मुबारक अज़ीमाबादी
ये घटा ऐसी घटा इतनी घटा
मुबारक अज़ीमाबादी
ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ
मुबारक अज़ीमाबादी
उस गली में हज़ार ग़म टूटा
मुबारक अज़ीमाबादी
उधर चुटकी वो दिल में ले रहे हैं
मुबारक अज़ीमाबादी
तुम को समझाए मुबर्रक कोई क्यूँकर अफ़्सोस
मुबारक अज़ीमाबादी
तुम भूल गए मुझ को यूँ याद दिलाता हूँ
मुबारक अज़ीमाबादी
तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं
मुबारक अज़ीमाबादी
तिरी अदा की क़सम है तिरी अदा के सिवा
मुबारक अज़ीमाबादी
तौबा की रिंदों में गुंजाइश कहाँ
मुबारक अज़ीमाबादी
शिकस्त-ए-तौबा की तम्हीद है तिरी तौबा
मुबारक अज़ीमाबादी
समझाएँ किस तरह दिल-ए-ना-कर्दा-कार को
मुबारक अज़ीमाबादी