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यौम-ए-जम्हूर - चरख़ चिन्योटी कविता - Darsaal

यौम-ए-जम्हूर

यौम-ए-जम्हूर तेरे आने पर

नाच उठे हैं मसर्रतों के पयाम

इन उजालों में ज़ुल्मतें तो नहीं

सोचते हैं मिरे वतन के अवाम

जगमगाता है वक़्त का चेहरा

बे-बसों पर जहान हँसता है

अपने रुख़ पर नहीं है मौजा-ए-नूर

झोंपड़ी किस तरह हो रश्क-ए-महल

जाम-ए-जम्हूरियत तो पीते हैं

हसरतें दम जो तोड़ दें घुट कर

लेकिन इस में नहीं है कैफ़-ओ-सुरूर

ज़िंदगी क्यूँ न हो शिकार-ए-अजल

अपने हसरत-भरे मुक़द्दर का

इस तरह हम मज़ाक़ उड़ाते हैं

ख़ुद ही रोते हैं वक़्त का रोना

और फिर ख़ुद ही मुस्कुराते हैं

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Yaum-e-jamhur In Hindi By Famous Poet Charkh Chinioti. Yaum-e-jamhur is written by Charkh Chinioti. Complete Poem Yaum-e-jamhur in Hindi by Charkh Chinioti. Download free Yaum-e-jamhur Poem for Youth in PDF. Yaum-e-jamhur is a Poem on Inspiration for young students. Share Yaum-e-jamhur with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.