बे-ख़ुदी में है न वो पी कर सँभल जाने में है
बे-ख़ुदी में है न वो पी कर सँभल जाने में है
लुत्फ़ पा-ए-यार पर जो लग़्ज़िशें खाने में है
तेरे वा'दे तेरी यादें तेरे नग़्मे तेरे ख़्वाब
हुस्न से भरपूर दौलत मेरे काशाने में है
साग़र-ओ-मीना में लहराती है हर मौज-ए-शराब
इक जवानी का तलातुम आज मयख़ाने में है
बज़्म-ए-दुनिया में हैं हुस्न-ओ-इश्क़ यूँ जल्वा-नुमा
रौशनी है शम्अ' में तो सोज़ परवाने में है
मय की इक इक बूँद से तूफ़ान-ए-मस्ती है अयाँ
किस की मय-बार अँखड़ियों का अक्स पैमाने में है
नूर की बारिश अभी होने दे थोड़ी देर और
इक ज़रा सी देर ही तो रात ढल जाने में है
लाख फ़ितरत ने दिखाई बर्क़ की चश्मक-ज़नी
उस में वो शोख़ी कहाँ जो तेरे शरमाने में है
जान भी दिल भी जिगर भी आरज़ू-ए-वस्ल भी
उन के पेश अपना सभी कुछ आज नज़राने में है
मय उभर कर जाम में अंगड़ाइयाँ लेने लगी
कैसा मद्द-ओ-जज़्र साक़ी तेरे मयख़ाने में है
'चर्ख़' मैं ना-आश्ना हूँ हिज्र के माहौल से
वस्ल का रंगीन पहलू मेरे अफ़्साने में है
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