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फ़ित्ना-ए-रोज़गार की बातें - चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी कविता - Darsaal

फ़ित्ना-ए-रोज़गार की बातें

फ़ित्ना-ए-रोज़गार की बातें

ऐसी हैं जैसे यार की बातें

हिज्र में वस्ल-ए-यार की बातें

हैं ख़िज़ाँ में बहार की बातें

लाला-ओ-गुल कै ज़िक्र से बेहतर

एक जान-ए-बहार की बातें

छेड़ के साथ नोक झोक भी है

गुल से होती हैं ख़ार की बातें

सब समझते हैं मैं कहूँ न कहूँ

इस दिल-ए-बे-क़रार की बातें

छेड़ देता हूँ दिल-लगी के लिए

वस्ल में इंतिज़ार की बातें

जो न तुम रूठते तो कर लेते

और दो चार प्यार की बातें

नंग हैं अज़्म-ए-मुस्तक़िल के लिए

दहर-ना-पाएदार की बातें

दिल-नशीं हैं बसंत में 'कैफ़ी'

ये शराब-ओ-ख़ुमार की बातें

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Fitna-e-rozgar Ki Baaten In Hindi By Famous Poet Chandar Bhan Kaifi Delhwi. Fitna-e-rozgar Ki Baaten is written by Chandar Bhan Kaifi Delhwi. Complete Poem Fitna-e-rozgar Ki Baaten in Hindi by Chandar Bhan Kaifi Delhwi. Download free Fitna-e-rozgar Ki Baaten Poem for Youth in PDF. Fitna-e-rozgar Ki Baaten is a Poem on Inspiration for young students. Share Fitna-e-rozgar Ki Baaten with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.