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दौर-ए-निगाह-ए-साक़ी-ए-मस्ताना एक है - चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी कविता - Darsaal

दौर-ए-निगाह-ए-साक़ी-ए-मस्ताना एक है

दौर-ए-निगाह-ए-साक़ी-ए-मस्ताना एक है

पैमाने दो हैं गर्दिश-ए-पैमाना एक है

पीता हूँ घूँट घूँट में साँसों के साथ साथ

साक़ी का और उम्र का पैमाना एक है

जिस अश्क में हो अश्क-ए-नदामत वही है अश्क

मोती बहुत हैं गौहर-ए-यक-दाना एक है

कसरत की शान और है वहदत का रंग और

आबाद है जो एक तो वीराना एक है

तफ़रीक़ हुस्न-ए-शमा-ओ-गुल में ज़रा नहीं

सोज़-ओ-गुदाज़-ए-बुल्बुल-ओ-परवाना एक है

जब सुन लिया फ़िराक़ का क़िस्सा तो कह दिया

मजनूँ का और आप का अफ़्साना एक है

तुम को अगर है अपनी दिल-आराइयों पे नाज़

'कैफ़ी' भी अपने नाम का मस्ताना एक है

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Daur-e-nigah-e-saqi-e-mastana Ek Hai In Hindi By Famous Poet Chandar Bhan Kaifi Delhwi. Daur-e-nigah-e-saqi-e-mastana Ek Hai is written by Chandar Bhan Kaifi Delhwi. Complete Poem Daur-e-nigah-e-saqi-e-mastana Ek Hai in Hindi by Chandar Bhan Kaifi Delhwi. Download free Daur-e-nigah-e-saqi-e-mastana Ek Hai Poem for Youth in PDF. Daur-e-nigah-e-saqi-e-mastana Ek Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Daur-e-nigah-e-saqi-e-mastana Ek Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.