किया है फ़ाश पर्दा कुफ़्र-ओ-दीं का इस क़दर मैं ने
कि दुश्मन है बरहमन और अदू शैख़-ए-हरम मेरा
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Rahat Indori
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(930) Peoples Rate This
गुनह-गारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाक़िफ़
ख़ुदा ने इल्म बख़्शा है अदब अहबाब करते हैं
कभी था नाज़ ज़माने को अपने हिन्द पे भी
है मिरा ज़ब्त-ए-जुनूँ जोश-ए-जुनूँ से बढ़ कर
ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़ुहूर-ए-तरतीब
मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले
नया बिस्मिल हूँ मैं वाक़िफ़ नहीं रस्म-ए-शहादत से
मज़ा है अहद-ए-जवानी में सर पटकने का
ज़बान-ए-हाल से ये लखनऊ की ख़ाक कहती है
इक सिलसिला हवस का है इंसाँ की ज़िंदगी
मिरी बे-ख़ुदी है वो बे-ख़ुदी कहीं ख़ुदी का वहम-ओ-गुमाँ नहीं
ये कैसी बज़्म है और कैसे उस के साक़ी हैं