चौकीदार
एक साफ़्ट-ड्रिंक की क़ीमत में
दिसम्बर की सर्दी में
जब हमें अपने बिस्तर से
दरवाज़े तक जाना
ना-मुम्किन लगता है
वो हमारी छतों की निगहबानी
हड्डियों में छेद करती
यख़-बस्ता हवाओं से
लड़ कर करता है
कोई नहीं जानता
उस का अपना घराना
महीने की आख़िरी तारीख़ें
किस अज़िय्यत से काटता है
और फिर
अगले महीने के पहले हफ़्ते
वो अपनी ख़िदमत
बेज़ार चेहरों से
भीक की सूरत माँगता है
(1191) Peoples Rate This