ख़ामुशी में क़यास मेरा है

ख़ामुशी में क़यास मेरा है

बंदिशें ही लिबास मेरा है

ख़्वाब फूलों के आँख ने गूँधे

फिर चमन क्यूँ उदास मेरा है

कोई ताबीर-ए-ख़्वाब मिल जाती

क्या मुक़द्दर ही यास मेरा है

हसरतों आज दूर ही रहना

आज फिर दिल उदास मेरा है

तू गुज़र जा उधर 'सबा' बन कर

ऐ सनम ये सिपास मेरा है

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