जिस ने जाना जहाँ तमाशा है
जिस ने जाना जहाँ तमाशा है
उस की ठोकर में ये ज़माना है
बे-ग़रज़ हार जीत से जो हो
ज़िंदगी उस की फ़ातेहाना है
फ़िक्र जो ख़ुद गिरफ़्त में रक्खे
उस का अंदाज़ शाइराना है
गर्म रखता है जो ख़ुदी अपनी
बे-नियाज़ी से वो शनासा है
दो ही पुल का है खेल सारा 'सबा'
बा'द में ख़ाक सब को होना है
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