Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8dc085eb8487a257a690bd8201e6bc24, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
यही समझा हूँ बस इतनी हुई है आगही मुझ को - ब्रहमा नन्द जलीस कविता - Darsaal

यही समझा हूँ बस इतनी हुई है आगही मुझ को

यही समझा हूँ बस इतनी हुई है आगही मुझ को

न रास आएगी शायद ज़िंदगी-भर ज़िंदगी मुझ को

मिला रंज-ओ-अलम में भी सुरूर-ए-ज़िंदगी मुझ को

नज़र आती है अक्सर तीरगी में रौशनी मुझ को

न अब एहसास-ए-रंज-ओ-ग़म न एहसास-ए-ख़ुशी मुझ को

ये किस मरकज़ पे ले आई मिरी दीवानगी मुझ को

छलक आए हैं आँसू जब भी आई है हँसी मुझ को

सुनाती ही रही पैग़ाम-ए-ग़म मेरी ख़ुशी मुझ को

न देना था अगर कुछ इख़्तियार-ए-ज़िंदगी मुझ को

तो क्यूँ ऐ ख़ालिक़-ए-आलम बनाया आदमी मुझ को

सियह-बख़्ती हुई है साया-अफ़गन इस क़दर मुझ पर

नज़र आती है हर-सू तीरगी ही तीरगी मुझ को

'जलीस' एहसान क्या कम है ये मेरी बद-नसीबी का

तमीज़ अपने पराए की तो आख़िर हो गई मुझ को

(946) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Yahi Samjha Hun Bas Itni Hui Hai Aagahi Mujhko In Hindi By Famous Poet Brahma Nand Jalees. Yahi Samjha Hun Bas Itni Hui Hai Aagahi Mujhko is written by Brahma Nand Jalees. Complete Poem Yahi Samjha Hun Bas Itni Hui Hai Aagahi Mujhko in Hindi by Brahma Nand Jalees. Download free Yahi Samjha Hun Bas Itni Hui Hai Aagahi Mujhko Poem for Youth in PDF. Yahi Samjha Hun Bas Itni Hui Hai Aagahi Mujhko is a Poem on Inspiration for young students. Share Yahi Samjha Hun Bas Itni Hui Hai Aagahi Mujhko with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.