देने वाले ये ज़िंदगी दी है
देने वाले ये ज़िंदगी दी है
या मिरे साथ दिल-लगी की है
हम को मा'लूम ही न था ये राज़
मौत का नाम ज़िंदगी भी है
आशियानों की ख़ैर हो यारब
सहन-ए-गुलशन में रौशनी सी है
हम ने बरसों जिगर जलाया है
फिर कहीं दिल में रौशनी की है
आप से दोस्ती का इक मफ़्हूम
सारी दुनिया से दुश्मनी भी है
लोग मरते हैं ज़िंदगी के लिए
हम ने मर मर के ज़िंदगी की है
हम को मारा है आशिक़ी ने 'जलीस'
लोग कहते हैं ख़ुद-कुशी की है
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