Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f35506dc13f4b0e5e9fd59016df7cb57, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वो अक्स बन के मिरी चश्म-ए-तर में रहता है - बिस्मिल साबरी कविता - Darsaal

वो अक्स बन के मिरी चश्म-ए-तर में रहता है

वो अक्स बन के मिरी चश्म-ए-तर में रहता है

अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है

वही सितारा शब-ए-ग़म का इक सितारा है

वो इक सितारा जो चश्म-ए-सहर में रहता है

खुली फ़ज़ा का पयामी हवा का बासी है

कहाँ वो हल्क़ा-ए-दीवार-ओ-दर में रहता है

जो मेरे होंटों पे आए तो गुनगुनाऊँ उसे

वो शेर बन के बयाज़-ए-नज़र में रहता है

गुज़रता वक़्त मिरा ग़म-गुसार क्या होगा

ये ख़ुद तआ'क़ुब-ए-शाम-ओ-सहर में रहता है

मिरा ही रूप है तू ग़ौर से अगर देखे

बगूला सा जो तिरी रहगुज़र में रहता है

न जाने कौन है जिस की तलाश में 'बिस्मिल'

हर एक साँस मिरा अब सफ़र में रहता है

(2832) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wo Aks Ban Ke Meri Chashm-e-tar Mein Rahta Hai In Hindi By Famous Poet Bismil Sabri. Wo Aks Ban Ke Meri Chashm-e-tar Mein Rahta Hai is written by Bismil Sabri. Complete Poem Wo Aks Ban Ke Meri Chashm-e-tar Mein Rahta Hai in Hindi by Bismil Sabri. Download free Wo Aks Ban Ke Meri Chashm-e-tar Mein Rahta Hai Poem for Youth in PDF. Wo Aks Ban Ke Meri Chashm-e-tar Mein Rahta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo Aks Ban Ke Meri Chashm-e-tar Mein Rahta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.