Ghazals of Bismil Azimabadi
नाम | बिस्मिल अज़ीमाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Bismil Azimabadi |
जन्म की तारीख | 1901 |
मौत की तिथि | 1978 |
जन्म स्थान | Patna |
ये बुत फिर अब के बहुत सर उठा के बैठे हैं
तंग आ गए हैं क्या करें इस ज़िंदगी से हम
सोचने का भी नहीं वक़्त मयस्सर मुझ को
सारी उम्मीद रही जाती है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
रुख़ पे गेसू जो बिखर जाएँगे
निगाह-ए-क़हर होगी या मोहब्बत की नज़र होगी
न अपने ज़ब्त को रुस्वा करो सता के मुझे
मेरी दुआ कि ग़ैर पे उन की नज़र न हो
ख़िज़ाँ के जाने से हो या बहार आने से
ख़िज़ाँ जब तक चली जाती नहीं है
कहाँ आया है दीवानों को तेरा कुछ क़रार अब तक
जब कभी नाम-ए-मोहम्मद लब पे मेरे आए है
चमन को लग गई किस की नज़र ख़ुदा जाने
अब रहा क्या है जो अब आए हैं आने वाले
अब मुलाक़ात कहाँ शीशे से पैमाने से
अब दम-ब-ख़ुद हैं नब्ज़ की रफ़्तार देख कर