Sad Poetry of Bilqis Zafirul Hasan
नाम | बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन |
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अंग्रेज़ी नाम | Bilqis Zafirul Hasan |
जन्म की तारीख | 1938 |
जन्म स्थान | Delhi |
यूँ चुप रहा करे से तो हो जाए है जुनूँ
ख़ुद अपनी फ़िक्र उगाती है वहम के काँटे
ज़ख़्म को फूल कहें नौहे को नग़्मा समझें
पाबंदियों से अपनी निकलते वो पा न थे
नज़र आता है वो जैसा नहीं है
मिरी हथेली में लिक्खा हुआ दिखाई दे
किस ने कहा किसी का कहा तुम किया करो
काँटे हों या फूल अकेले चुनना होगा
कब एक रंग में दुनिया का हाल ठहरा है
कब इक मक़ाम पे रुकती है सर-फिरी है हवा
हमारी जागती आँखों में ख़्वाब सा क्या था
दीवार-ओ-दर में सिमटा इक लम्स काँपता है
देता था जो साया वो शजर काट रहा है
बे-तअल्लुक़ सारे रिश्ते कौन किस का आश्ना
बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया
अपनी तो कोई बात बनाए नहीं बनी