Hope Poetry of Bilqis Zafirul Hasan
नाम | बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन |
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अंग्रेज़ी नाम | Bilqis Zafirul Hasan |
जन्म की तारीख | 1938 |
जन्म स्थान | Delhi |
तमाम लाला ओ गुल के चराग़ रौशन हैं
हम तो बेगाने से ख़ुद को भी मिले हैं 'बिल्क़ीस'
ज़ख़्म को फूल कहें नौहे को नग़्मा समझें
पाबंदियों से अपनी निकलते वो पा न थे
मिरी हथेली में लिक्खा हुआ दिखाई दे
किस ने कहा किसी का कहा तुम किया करो
कब इक मक़ाम पे रुकती है सर-फिरी है हवा
जीना है ख़ूब औरों की ख़ातिर जिया करो
एक आलम है ये हैरानी का जीना कैसा
दीवार-ओ-दर में सिमटा इक लम्स काँपता है
देता था जो साया वो शजर काट रहा है