हमारी ख़ाक तबर्रुक समझ के ले जाओ
हमारी जान मोहब्बत की लौ में जलती थी
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तिरी तलाश में निकला तो रास्ता हुआ मैं
अजल की फूँक मिरे कान में सुनाई दी
एक हालत थी मिरी और एक हालत दिल की थी
रिस रहा है मुद्दत से कोई पहला ग़म मुझ में
उलझ रहा था अभी ख़्वाब की फ़सील से मैं
ज़मीं नई थी अनासिर की ख़ू बदलती थी
तड़ख़न
मुश्किल
नास्टैल्जिया
इक दिखावा रह गया बस दिल से वो चाहत गई
अजीब ढंग से तक़सीम-ए-कार की उस ने