सितारे हार चुकी थी सभी जुआरी रात

सितारे हार चुकी थी सभी जुआरी रात

बस एक चाँद बचा था सो वो भी हारी रात

बताओ कैसे कहाँ तुम ने कल गुज़ारी रात

उठाई सूद पे या क़र्ज़ पे उतारी रात

नहीं बुलाई नहीं हम ने ख़ुद-बख़ुद आई

यहाँ न आती तो जाती कहाँ बेचारी रात

उतारा टाँग दिया रेनकोट खूँटी पर

फिर उस से रिसती रही बूँद बूँद सारी रात

यही हिसाब है अपनी भी ज़िंदगी का दोस्त

नक़्द में दिन का किया सौदा और उधारी रात

हमें कफ़न नज़र आने लगे सितारों पर

जो बचपने में सितारों की थी पिटारी रात

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Sitare Haar Chuki Thi Sabhi Juari Raat In Hindi By Famous Poet Bhavesh Dilshad. Sitare Haar Chuki Thi Sabhi Juari Raat is written by Bhavesh Dilshad. Complete Poem Sitare Haar Chuki Thi Sabhi Juari Raat in Hindi by Bhavesh Dilshad. Download free Sitare Haar Chuki Thi Sabhi Juari Raat Poem for Youth in PDF. Sitare Haar Chuki Thi Sabhi Juari Raat is a Poem on Inspiration for young students. Share Sitare Haar Chuki Thi Sabhi Juari Raat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.