ये कह दो बस मौत से हो रुख़्सत क्यूँ नाहक़ आई है उस की शामत
ये कह दो बस मौत से हो रुख़्सत क्यूँ नाहक़ आई है उस की शामत
कि दर तलक वो मसीह-ख़सलत मिरी अयादत को आ चुके हैं
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ये कह दो बस मौत से हो रुख़्सत क्यूँ नाहक़ आई है उस की शामत
कि दर तलक वो मसीह-ख़सलत मिरी अयादत को आ चुके हैं
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