Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_976f19931bd65e352f07d8e052c84ba7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ग़ज़ब है सुर्मा दे कर आज वो बाहर निकलते हैं - भारतेंदु हरिश्चंद्र कविता - Darsaal

ग़ज़ब है सुर्मा दे कर आज वो बाहर निकलते हैं

ग़ज़ब है सुर्मा दे कर आज वो बाहर निकलते हैं

अभी से कुछ दिल-ए-मुज़्तर पर अपने तीर चलते हैं

ज़रा देखो तो ऐ अहल-ए-सुख़न ज़ोर-ए-सनाअत को

नई बंदिश है मजनूँ नूर के साँचे में ढलते हैं

बुरा हो इश्क़ का ये हाल है अब तेरी फ़ुर्क़त में

कि चश्म-ए-ख़ूँ-चकाँ से लख़्त-ए-दिल पैहम निकलते हैं

हिला देंगे अभी ऐ संग-दिल तेरे कलेजे को

हमारी आह-ए-आतिश-बार से पत्थर पिघलते हैं

तिरा उभरा हुआ सीना जो हम को याद आता है

तो ऐ रश्क-ए-परी पहरों कफ़-ए-अफ़्सोस मिलते हैं

किसी पहलू नहीं चैन आता है उश्शाक़ को तेरे

तड़पते हैं फ़ुग़ाँ करते हैं और करवट बदलते हैं

'रसा' हाजत नहीं कुछ रौशनी की कुंज-ए-मरक़द में

बजाए-शम्अ याँ दाग़-ए-जिगर हर वक़्त जलते हैं

(882) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ghazab Hai Surma De Kar Aaj Wo Bahar Nikalte Hain In Hindi By Famous Poet Bhartendu Harishchandra. Ghazab Hai Surma De Kar Aaj Wo Bahar Nikalte Hain is written by Bhartendu Harishchandra. Complete Poem Ghazab Hai Surma De Kar Aaj Wo Bahar Nikalte Hain in Hindi by Bhartendu Harishchandra. Download free Ghazab Hai Surma De Kar Aaj Wo Bahar Nikalte Hain Poem for Youth in PDF. Ghazab Hai Surma De Kar Aaj Wo Bahar Nikalte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Ghazab Hai Surma De Kar Aaj Wo Bahar Nikalte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.