Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6fdcbaef6fa41870efae19db74272143, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दश्त-पैमाई का गर क़स्द मुकर्रर होगा - भारतेंदु हरिश्चंद्र कविता - Darsaal

दश्त-पैमाई का गर क़स्द मुकर्रर होगा

दश्त-पैमाई का गर क़स्द मुकर्रर होगा

हर सर-ए-ख़ार पए-आबला नश्तर होगा

मय-कदे से तिरा दीवाना जो बाहर होगा

एक में शीशा और इक हाथ में साग़र होगा

हल्क़ा-ए-चशम-ए-सनम लिख के ये कहता है क़लम

बस कि मरकज़ से क़दम अपना न बाहर होगा

दिल न देना कभी इन संग-दिलों को यारो

चूर होवेगा जो शीशा तह-ए-पत्थर होगा

देख लेता वो अगर रुख़ की तजल्ली तेरे

आइना ख़ाना-ए-मायूसी में शश्दर होगा

चाक कर डालूँगा दामान-ए-कफ़न वहशत से

आस्तीं से न मिरा हाथ जो बाहर होगा

ऐ 'रसा' जैसा है बरगश्ता ज़माना हम से

ऐसा बरगश्ता किसी का न मुक़द्दर होगा

(819) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dasht-paimai Ka Gar Qasd Mukarrar Hoga In Hindi By Famous Poet Bhartendu Harishchandra. Dasht-paimai Ka Gar Qasd Mukarrar Hoga is written by Bhartendu Harishchandra. Complete Poem Dasht-paimai Ka Gar Qasd Mukarrar Hoga in Hindi by Bhartendu Harishchandra. Download free Dasht-paimai Ka Gar Qasd Mukarrar Hoga Poem for Youth in PDF. Dasht-paimai Ka Gar Qasd Mukarrar Hoga is a Poem on Inspiration for young students. Share Dasht-paimai Ka Gar Qasd Mukarrar Hoga with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.