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Bharat Bhushan Pant Hope In Hindi - Best Hope Of Bharat Bhushan Pant Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Hope Poetry of Bharat Bhushan Pant

Hope Poetry of Bharat Bhushan Pant
नामभारत भूषण पन्त
अंग्रेज़ी नामBharat Bhushan Pant

शायद बता दिया था किसी ने मिरा पता

इतनी सी बात रात पता भी नहीं लगी

सच्चाइयों को बर-सर-ए-पैकार छोड़ कर

पराया लग रहा था जो वही अपना निकल आया

मुस्तक़िल रोने से दिल की बे-कली बढ़ जाएगी

कुछ न कुछ सिलसिला ही बन जाता

ख़्वाहिश-ए-पर्वाज़ है तो बाल-ओ-पर भी चाहिए

ख़ुद पर जो ए'तिमाद था झूटा निकल गया

कभी सुकूँ कभी सब्र-ओ-क़रार टूटेगा

कब तक गर्दिश में रहना है कुछ तो बता अय्याम मुझे

जुस्तुजू मेरी कहीं थी और मैं भटका कहीं

इश्क़ का रोग तो विर्से में मिला था मुझ को

दीद की तमन्ना में आँख भर के रोए थे

चाहतों के ख़्वाब की ताबीर थी बिल्कुल अलग

अंधेरा मिटता नहीं है मिटाना पड़ता है

भारत भूषण पन्त Hope Poetry in Hindi - Read famous Hope Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by भारत भूषण पन्त. Largest collection of Hope Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by भारत भूषण पन्त. Share the भारत भूषण पन्त Hope Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.