उम्मीदों से पर्दा रक्खा ख़ुशियों से महरूम रहीं
उम्मीदों से पर्दा रक्खा ख़ुशियों से महरूम रहीं
ख़्वाब मरा तो चालिस दिन तक सोग मनाया आँखों ने
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उम्मीदों से पर्दा रक्खा ख़ुशियों से महरूम रहीं
ख़्वाब मरा तो चालिस दिन तक सोग मनाया आँखों ने
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