जाने कितने लोग शामिल थे मिरी तख़्लीक़ में
मैं तो बस अल्फ़ाज़ में था शाएरी में कौन था
Ahmad Faraz
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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हमारे हाल पे अब छोड़ दे हमें दुनिया
इतना तो समझते थे हम भी उस की मजबूरी
रिश्तों के जब तार उलझने लगते हैं
ख़्वाब जीने नहीं देंगे तुझे ख़्वाबों से निकल
फिर वो बे-सम्त उड़ानों की कहानी सुन कर
कब तक गर्दिश में रहना है कुछ तो बता अय्याम मुझे
एक नए साँचे में ढल जाता हूँ मैं
हम सराबों में हुए दाख़िल तो ये हम पर खुला
मैं ने माना एक गुहर हूँ फिर भी सदफ़ में हूँ
लाख टकराते फिरें हम सर दर-ओ-दीवार से
बस ज़रा इक आइने के टूटने की देर थी
मैं ने सोचा था मुझे मिस्मार कर सकता नहीं