भारत भूषण पन्त कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का भारत भूषण पन्त (page 3)
नाम | भारत भूषण पन्त |
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अंग्रेज़ी नाम | Bharat Bhushan Pant |
इश्क़ का रोग तो विर्से में मिला था मुझ को
हर एक रात में अपना हिसाब कर के मुझे
एक नए साँचे में ढल जाता हूँ मैं
इक गर्दिश-ए-मुदाम भी तक़दीर में रही
दीद की तमन्ना में आँख भर के रोए थे
दयार-ए-ज़ात में जब ख़ामुशी महसूस होती है
दश्त में उड़ते बगूलों की ये मस्ती एक दिन
दानिस्ता जो हो न सके नादानी से हो जाता है
चाहतों के ख़्वाब की ताबीर थी बिल्कुल अलग
अंधेरा मिटता नहीं है मिटाना पड़ता है
आईने से पर्दा कर के देखा जाए
आब की तासीर में हूँ प्यास की शिद्दत में हूँ