कितने इल्ज़ाम आख़िर अपने सर
तुम ने ग़ैरों को सर चढ़ा के लिए
Ahmad Faraz
Anwar Masood
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Rahat Indori
Gulzar
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
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असर न पूछिए साक़ी की मस्त आँखों का
लड़ गई उन से नज़र खिंच गए अबरू उन के
अक़्ल दौड़ाई बहुत कुछ तो गुमाँ तक पहुँचे
तड़प के रह गई बुलबुल क़फ़स में ऐ सय्याद