इस जबीन-ए-अरक़-अफ़्शाँ पे न चुनिए अफ़्शाँ
ये सितारे कहीं मिल जाएँ न सय्यारों में
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
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आप को रंज हुआ आप के दुश्मन रोए
बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों
तुम्हारे हाथ ख़ाली जेब ख़ाली ज़ुल्फ़ ख़ाली थी
आशिक़ हैं मगर इश्क़ नुमायाँ नहीं रखते
हो के मजबूर आह करता हूँ
दिल तो लेते हो मगर ये भी रहे याद तुम्हें
अदाएँ देखने बैठे हो क्या आईने में अपनी
नज़र कहीं है मुख़ातब किसी से हैं दिल में
न अरमाँ बन के आते हैं न हसरत बन के आते हैं
मिला के ख़ाक में सर्मा-ए-दिल-ए-'बेख़ुद'
बोले वो मुस्कुरा के बहुत इल्तिजा के ब'अद
पछताओगे फिर हम से शरारत नहीं अच्छी