दिल चुरा कर ले गया था कोई शख़्स
पूछने से फ़ाएदा, था कोई शख़्स
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दिल मोहब्बत से भर गया 'बेख़ुद'
क्या कह दिया ये आप ने चुपके से कान में
मुँह फेर कर वो कहते हैं बस मान जाइए
लुत्फ़ से मतलब न कुछ मेरे सताने से ग़रज़
ये कह के मेरे सामने टाला रक़ीब को
तीर-ए-क़ातिल को कलेजे से लगा रक्खा है
ऐसा बना दिया तुझे क़ुदरत ख़ुदा की है
नज़र कहीं है मुख़ातब किसी से हैं दिल में
सुन के सारी दास्तान-ए-रंज-ओ-ग़म
उन के आते ही हुआ हसरत-ओ-अरमाँ का हुजूम
दिल है मुश्ताक़ जुदा आँख तलबगार जुदा
दिल हुआ जान हुई उन की भला क्या क़ीमत