चलने की नहीं आज कोई घात किसी की
सुनने के नहीं वस्ल में हम बात किसी की
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Allama Iqbal
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Javed Akhtar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Gulzar
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आप को रंज हुआ आप के दुश्मन रोए
मुँह में वाइज़ के भी भर आता है पानी अक्सर
सब्र आता है जुदाई में न ख़्वाब आता है
न अरमाँ बन के आते हैं न हसरत बन के आते हैं
बोले वो मुस्कुरा के बहुत इल्तिजा के ब'अद
जवाब सोच के वो दिल में मुस्कुराते हैं
आप हों हम हों मय-ए-नाब हो तन्हाई हो
तुम्हें हम चाहते तो हैं मगर क्या
वो कुछ मुस्कुराना वो कुछ झेंप जाना
क्यूँ कह के दिल का हाल उसे बद-गुमाँ करूँ
वो सुन कर हूर की तारीफ़ पर्दे से निकल आए
बात करने की शब-ए-वस्ल इजाज़त दे दो