तुम हमारे दिल-ए-शैदा को नहीं जानते क्या
तुम हमारे दिल-ए-शैदा को नहीं जानते क्या
और ग़ैरों की तमन्ना को नहीं जानते क्या
कहीं होता भी है जाँ-बख़्श लब-ए-अहद-शिकन
तेरे इस झूटे मसीहा को नहीं जानते क्या
पहले दिल थाम लो फिर आईना तुम हाथ में लो
अपने हुस्न-ए-रुख़-ए-ज़ेबा को नहीं जानते क्या
कर न दें उस को मुकद्दर कहीं आह-ए-'बेख़ुद'
आप उस आईना-सीमा को नहीं जानते क्या
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