रक़ीबों का मुझ से गिला हो रहा है

रक़ीबों का मुझ से गिला हो रहा है

ये क्या कर रहे हो ये क्या हो रहा है

दुआ को नहीं राह मिलती फ़लक की

कुछ ऐसा हुजूम-ए-बला हो रहा है

वो जो कर रहे हैं बजा कर रहे हैं

ये जो हो रहा है बजा हो रहा है

वो ना-आश्ना बेवफ़ा मेरी ज़िद से

ज़माने का अब आश्ना हो रहा है

छुपाए हुए दिल को फिरते हैं 'बेख़ुद'

कि ख़्वाहाँ कोई दिल-रुबा हुआ है

(997) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Raqibon Ka Mujhse Gila Ho Raha Hai In Hindi By Famous Poet Bekhud Badayuni. Raqibon Ka Mujhse Gila Ho Raha Hai is written by Bekhud Badayuni. Complete Poem Raqibon Ka Mujhse Gila Ho Raha Hai in Hindi by Bekhud Badayuni. Download free Raqibon Ka Mujhse Gila Ho Raha Hai Poem for Youth in PDF. Raqibon Ka Mujhse Gila Ho Raha Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Raqibon Ka Mujhse Gila Ho Raha Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.