नाले में कभी असर न आया
नाले में कभी असर न आया
इस नख़्ल में कुछ समर न आया
अल्लाह-री मेरी बे-क़रारी
चैन उन को भी रात भर न आया
कहता हूँ कि आ ही जाएगा सब्र
ये फ़िक्र भी है अगर न आया
ग़फ़लत के पड़े हुए थे पर्दे
वो पास रहा नज़र न आया
आँखों से हुआ जो कोई ओझल
'बेख़ुद' मुझे कुछ नज़र न आया
(738) Peoples Rate This