क्यूँ मैं अब क़ाबिल-ए-जफ़ा न रहा

क्यूँ मैं अब क़ाबिल-ए-जफ़ा न रहा

क्या हुआ कहिए मुझ में क्या न रहा

उन की महफ़िल में उस के चर्चे हैं

मुझ से अच्छा मिरा फ़साना रहा

वाइज़ ओ मोहतसिब का जमघट है

मै-कदा अब तो मै-कदा न रहा

उफ़-रे ना-आश्नाइयाँ उस की

चार दिन भी तो आश्ना न रहा

लाख पर्दे में कोई क्यूँ न छुपे

राज़-ए-उल्फ़त तो अब छुपा न रहा

इतनी मायूसियाँ भी क्या 'बेख़ुद'

क्या ख़ुदा का भी आसरा न रहा

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Kyun Main Ab Qabil-e-jafa Na Raha In Hindi By Famous Poet Bekhud Badayuni. Kyun Main Ab Qabil-e-jafa Na Raha is written by Bekhud Badayuni. Complete Poem Kyun Main Ab Qabil-e-jafa Na Raha in Hindi by Bekhud Badayuni. Download free Kyun Main Ab Qabil-e-jafa Na Raha Poem for Youth in PDF. Kyun Main Ab Qabil-e-jafa Na Raha is a Poem on Inspiration for young students. Share Kyun Main Ab Qabil-e-jafa Na Raha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.