न चिलमनों की हसीं सरसराहटें होंगी

न चिलमनों की हसीं सरसराहटें होंगी

न होंगे हम तो कहाँ जगमगाहटे होंगी

मैं एक भँवरा तिरे बाग़ में रहूँ न रहूँ

किसे नसीब मिरी गुनगुनाहटें होंगी

किवाड़ बंद करो तीरा-बख़्तो सो जाओ

गली में यूँ ही उजालों की आहटें होंगी

न पूछ पाएँगे अहवाल-ए-बेबसी वो भी

मिरे लबों पे अगर कपकपाहटें होंगी

लहू निचोड़ लो मुमकिन है कल बहार के बाद

रगों में फैली हुई संसनाहटें होंगी

वो दिन भी आएगा 'बेकल' चमन के फूलों पर

ब-नाम-ए-जुर्म-ओ-ख़ता मुस्कुराहटें होंगी

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Na Chilmanon Ki Hasin SarsarahaTen Hongi In Hindi By Famous Poet Bekal Utsahi. Na Chilmanon Ki Hasin SarsarahaTen Hongi is written by Bekal Utsahi. Complete Poem Na Chilmanon Ki Hasin SarsarahaTen Hongi in Hindi by Bekal Utsahi. Download free Na Chilmanon Ki Hasin SarsarahaTen Hongi Poem for Youth in PDF. Na Chilmanon Ki Hasin SarsarahaTen Hongi is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Chilmanon Ki Hasin SarsarahaTen Hongi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.