Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c6b6c05bb6dbbe563462a26d7084f7d3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तुम्हारे हुस्न की तस्ख़ीर आम होती है - बहज़ाद लखनवी कविता - Darsaal

तुम्हारे हुस्न की तस्ख़ीर आम होती है

तुम्हारे हुस्न की तस्ख़ीर आम होती है

कि इक निगाह में दुनिया तमाम होती है

जहाँ पे जल्वा-ए-जानाँ है अंजुमन-आरा

वहाँ निगाह की मंज़िल तमाम होती है

वही ख़लिश वही सोज़िश वही तपिश वही दर्द

हमें सहर भी ब-अंदाज़-ए-शाम होती है

निगाह-ए-हुस्न मुबारक तुझे दर-अंदाज़ी

कभी कभी मिरी महफ़िल भी आम होती है

ज़हे नसीब में क़ुर्बान अपनी क़िस्मत के

तिरे लिए मिरी दुनिया तमाम होती है

नमाज़-ए-इश्क़ का है इंहिसार अश्कों तक

ये बे-नियाज़-ए-सुजूद-ओ-क़याम होती है

तिरी निगाह के क़ुर्बां तिरी निगाह की टीस

ये ना-तमाम ही रह कर तमाम होती है

वहाँ पे चल मुझे ले कर मिरे समंद-ए-ख़याल

जहाँ निगाह की मस्ती हराम होती है

किसी के ज़िक्र से 'बहज़ाद' मुब्तला अब तक

जिगर में इक ख़लिश-ए-ना-तमाम होती है

(1959) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tumhaare Husn Ki TasKHir Aam Hoti Hai In Hindi By Famous Poet Behzad Lakhnavi. Tumhaare Husn Ki TasKHir Aam Hoti Hai is written by Behzad Lakhnavi. Complete Poem Tumhaare Husn Ki TasKHir Aam Hoti Hai in Hindi by Behzad Lakhnavi. Download free Tumhaare Husn Ki TasKHir Aam Hoti Hai Poem for Youth in PDF. Tumhaare Husn Ki TasKHir Aam Hoti Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Tumhaare Husn Ki TasKHir Aam Hoti Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.