Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_001ecec9a6cb12dc559e97ff6f0bc3f9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
होना ही क्या ज़रूर थे ये दो-जहाँ हैं क्यूँ - बहज़ाद लखनवी कविता - Darsaal

होना ही क्या ज़रूर थे ये दो-जहाँ हैं क्यूँ

होना ही क्या ज़रूर थे ये दो-जहाँ हैं क्यूँ

अल्लाह इक फ़रेब में कौन-ओ-मकाँ हैं क्यूँ

सुनते हैं एक दर्द तो उठता है बार-बार

उस की ख़बर नहीं है कि आँसू रवाँ हैं क्यूँ

इन बे-नियाज़ियों में भी शान-ए-नियाज़ है

सज्दे नहीं पसंद तो फिर आस्ताँ हैं क्यूँ

जिस गुलिस्ताँ में रोज़ तड़पती हैं बिजलियाँ

यारब उसी चमन में ये फिर आशियाँ हैं क्यूँ

इस का हमें मलाल है हम क्यूँ बदल गए

इस का नहीं मलाल कि वो बद-गुमाँ हैं क्यूँ

जब दिल नहीं रहा तो तमन्ना का काम क्या

जब कारवाँ नहीं तो पस-ए-कारवाँ हैं क्यूँ

'बहज़ाद' उन के हिज्र में घबरा रहा है दिल

अब क्या कहें किसी से कि बस ख़ानुमाँ हैं क्यूँ

(899) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hona Hi Kya Zarur The Ye Do-jahan Hain Kyun In Hindi By Famous Poet Behzad Lakhnavi. Hona Hi Kya Zarur The Ye Do-jahan Hain Kyun is written by Behzad Lakhnavi. Complete Poem Hona Hi Kya Zarur The Ye Do-jahan Hain Kyun in Hindi by Behzad Lakhnavi. Download free Hona Hi Kya Zarur The Ye Do-jahan Hain Kyun Poem for Youth in PDF. Hona Hi Kya Zarur The Ye Do-jahan Hain Kyun is a Poem on Inspiration for young students. Share Hona Hi Kya Zarur The Ye Do-jahan Hain Kyun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.