बहुत ज़ोरों पे वी-सी-आर था कल शब जहाँ मैं था

बहुत ज़ोरों पे वी-सी-आर था कल शब जहाँ मैं था

हर इक नाज़िर बड़ा बेदार था कल शब जहाँ मैं था

सियह ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ के एवज़ शाने पे चोटी थी

सितारा था मगर दुम-दार था कल शब जहाँ मैं था

अंधेरा ही अंधेरा छा गया है लोड-शेडिंग से

न जाने किस तरफ़ को यार था कल शब जहाँ मैं था

बड़े अरमान से निकला था शॉपिंग के लिए घर से

क्लोजिंग पे हर इक बाज़ार था कल शब जहाँ मैं था

ज़बरदस्ती का मैं क़ाएल न था वापस चला आया

कि उस के होंट पर इंकार था कल शब जहाँ मैं था

उड़न-छू था सग-ए-माशूक़ 'बे-दिल' अपनी ड्यूटी से

न पहरा था न पहरे-दार था कल शब जहाँ मैं था

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