क्या वो हरजाई मुझे ढूँडे मिलेगा जो कभी
क्या वो हरजाई मुझे ढूँडे मिलेगा जो कभी
एक सौ दस में गिरफ़्तार न होने पाया
बार-हा बैठ गए हार के चुंगी वाले
रास्ता इश्क़ का हमवार न होने पाया
कोई इंसान है बे-मेहर कि ताऊन है तू
कभी जाँ-बर तिरा बीमार न होने पाया
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