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सीने में दिल है दिल में दाग़ दाग़ में सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़ - बेदम शाह वारसी कविता - Darsaal

सीने में दिल है दिल में दाग़ दाग़ में सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़

सीने में दिल है दिल में दाग़ दाग़ में सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़

पर्दा-ब-पर्दा है निहाँ पर्दा-नशीं का राज़-ए-इश्क़

नाज़ कभी नियाज़ है और नियाज़ नाज़-ए-इश्क़

ख़त्म हुआ न हो कभी सिलसिला-ए-दराज़-ए-इश्क़

इश्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इश्क़

आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इश्क़

अपनी ख़बर कहाँ उन्हें जिन पे खुला है राज़-ए-इश्क़

सारे शुऊर मिट गए जब हुआ इम्तियाज़-ए-इश्क़

होश-ओ-ख़िरद भी अल-फ़िराक़ ''बैनी-व-बैनका'' कहें

हज़रत-ए-दिल का ख़ैर से है सफ़र-ए-हिजाज़-ए-इश्क़

पीर-ए-मुग़ाँ के पा-ए-नाज़ और मिरा सर-ए-नियाज़

होती है मय-कदे में रोज़ अपनी यूँही नमाज़-ए-इश्क़

हसरत-ओ-यास-ओ-आरज़ू शौक़ का इक़्तिदा करें

कुश्ता-ए-ग़म की लाश पर धूम से हो नमाज़-ए-इश्क़

इश्क़ की ज़ात ही से है ख़ूबी-ए-हुस्न-ओ-शान-ए-हुस्न

हुस्न के दम-क़दम से है सारा ये सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़

ऐ दिल-ए-दर्दमंद फिर नाला हो कोई दिल-गुदाज़

सूनी पड़ी है बज़्म-ए-शौक़ छेड़ दे अपना साज़-ए-इश्क़

होश-ओ-ख़िरद अदू-ए-इश्क़ इश्क़ है दुश्मन-ए-ख़िरद

है न हुआ न हो कभी अक़्ल से साज़-बाज़-ए-इश्क़

'बेदम'-ए-ख़स्ता है कहाँ अस्ल में कोई और है

ज़मज़मा-संज बे-ख़ुदी नग़्मा-तराज़ साज़-ए-इश्क़

(1962) Peoples Rate This

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