Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_176230737cd7449340f1bf41435a15a2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न कुनिश्त ओ कलीसा से काम हमें दर-ए-दैर न बैत-ए-हरम से ग़रज़ - बेदम शाह वारसी कविता - Darsaal

न कुनिश्त ओ कलीसा से काम हमें दर-ए-दैर न बैत-ए-हरम से ग़रज़

न कुनिश्त ओ कलीसा से काम हमें दर-ए-दैर न बैत-ए-हरम से ग़रज़

कि अज़ल से हमारे सज्दों को रही तेरे ही नक़्श-ए-क़दम से ग़रज़

जो तू महर है तो ज़र्रा हम हैं तू बहर है तो क़तरा हम हैं

तू सूरत है हम आईना हमें तुझ से ग़रज़ तुझे हम से ग़रज़

न नशात-ए-विसाल न हिज्र का ग़म न ख़याल-ए-बहार न ख़ौफ़-ए-ख़िज़ाँ

न सक़र का ख़तर है न शौक़-ए-इरम न सितम से हज़र न करम से ग़रज़

रखा कूचा-ए-इश्क़ में जिस ने क़दम हुआ हज़रत-ए-इश्क़ का जिस पे करम

उसे आप से भी सरोकार नहीं जो ग़रज़ है तो अपने सनम से ग़रज़

तिरी याद हो और दिल-ए-बेदम हो तिरा दर्द हो और दिल-ए-बेदम हो

'बेदम' को रहे तिरे ग़म से ग़रज़ तिरे ग़म को रहे 'बेदम' से ग़रज़

(1819) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Na Kunisht O Kalisa Se Kaam Hamein Dar-e-dair Na Bait-e-haram Se Gharaz In Hindi By Famous Poet Bedam Shah Warsi. Na Kunisht O Kalisa Se Kaam Hamein Dar-e-dair Na Bait-e-haram Se Gharaz is written by Bedam Shah Warsi. Complete Poem Na Kunisht O Kalisa Se Kaam Hamein Dar-e-dair Na Bait-e-haram Se Gharaz in Hindi by Bedam Shah Warsi. Download free Na Kunisht O Kalisa Se Kaam Hamein Dar-e-dair Na Bait-e-haram Se Gharaz Poem for Youth in PDF. Na Kunisht O Kalisa Se Kaam Hamein Dar-e-dair Na Bait-e-haram Se Gharaz is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Kunisht O Kalisa Se Kaam Hamein Dar-e-dair Na Bait-e-haram Se Gharaz with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.