मुझ से छुप कर मिरे अरमानों को बर्बाद न कर
मुझ से छुप कर मिरे अरमानों को बर्बाद न कर
दाद-ख़्वाही के लिए आया हूँ बेदाद न कर
देख मिट जाएगा हस्ती से गुज़र जाएगा
दिल-ए-ना-आक़ेबत-अंदेश उन्हें याद न कर
आ गया अब तो मुझे लुत्फ़-ए-असीरी सय्याद
ज़ब्ह कर डाल मगर क़ैद से आज़ाद न कर
जिस पे मरता हूँ उसे देख तो लूँ जी भर के
इतनी जल्दी तू मिरे क़त्ल में जल्लाद न कर
आप तो ज़ुल्म लगातार किए जाते हैं
मुझ से ताकीद पे ताकीद है फ़रियाद न कर
जल्वा दिखला के मिरा लूट लिया सब्र-ओ-क़रार
फिर ये कहते हैं कि तू नाला-ओ-फ़रियाद न कर
आप ही अपनी जफ़ाओं पे पशेमान हैं वो
उन को महजूब ज़ियादा दिल-ए-नाशाद न कर
ऐ सबा कूचा-ए-जानाँ में पड़ा रहने दे
ख़ाक हम ख़ाक-नशीनों की तो बर्बाद न कर
हम तो जब समझें कि हाँ दिल पे है क़ाबू 'बेदम'
वो तुझे भूल गए तो भी उन्हें याद न कर
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