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कुछ लगी दिल की बुझा लूँ तो चले जाइएगा - बेदम शाह वारसी कविता - Darsaal

कुछ लगी दिल की बुझा लूँ तो चले जाइएगा

कुछ लगी दिल की बुझा लूँ तो चले जाइएगा

ख़ैर सीने से लगा लूँ तो चले जाइएगा

मैं ज़-ख़ुद रफ़्ता हुआ सुनते ही जाने की ख़बर

पहले मैं आप में आ लूँ तो चले जाइएगा

रास्ता घेरे हैं अरमान-ओ-क़लक़ हसरत-ओ-यास

मैं ज़रा भीड़ हटा लूँ तो चले जाइएगा

प्यार कर लूँ रुख़-ए-रौशन की बलाएँ ले लूँ

क़दम आँखों से लगा लूँ तो चले जाइएगा

मेरे होने ही ने ये रोज़-ए-सियह दिखलाया

अपनी हस्ती को मिटा लूँ तो चले जाइएगा

छोड़ कर ज़िंदा मुझे आप कहाँ जाएँगे

पहले मैं जान से जा लूँ तो चले जाइएगा

आप के जाते ही 'बेदम' की सुनेगा फिर कौन

अपनी बीती मैं सुना तो चले जाइएगा

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