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तरहदार कहाँ से लाऊँ - बेबाक भोजपुरी कविता - Darsaal

तरहदार कहाँ से लाऊँ

झूट की गर्मी-ए-बाज़ार कहाँ से लाऊँ

रक़्स-ए-बे-मा'नी की झंकार कहाँ से लाऊँ

ढूँड के हीला-ए-तकज़ीब बराए-इंसाफ़

बे-मुहाबा सर-ए-दरबार कहाँ से लाऊँ

बे-ख़बर इश्क़ से हैं आज रिया-कार शुयूख़

जज़्ब-ए-मंसूर सर-ए-दार कहाँ से लाऊँ

बेच कर चादर-ए-ज़हरा को सजाता फ़िरदौस

रेशमी मक्र की दस्तार कहाँ से लाऊँ

मौत की गोद में है आरिफ़-ओ-दाना का वजूद

दिल-रुबा फ़िक्र-ए-सहर-कार कहाँ से लाऊँ

में वो फ़नकार हूँ इख़्लास है जिस का शहकार

मक्र-ओ-तज़वीर की गुफ़्तार कहाँ से लाऊँ

ख़ानक़ाहों में भी राइज है हवस की तदरीस

बा-ख़ुदा शैख़-ए-निगह-दार कहाँ से लाऊँ

मकतब-ए-नौ का मोअल्लिम है फ़रंगी बक़्क़ाल

बूज़र-ओ-ख़ालिद-ओ-कर्रार कहाँ से लाऊँ

रूह-ए-तौहीद की क़ातिल है सियासी तालीम

सर-फ़रोशान-ए-वफ़ादार कहाँ से लाऊँ

ख़ूब वाक़िफ़ हूँ हदीस-ए-मय-ओ-मीना से मगर

आलम-ए-हश्र में दिलदार कहाँ से लाऊँ

साज़-ए-फ़ितरत पे ग़ज़ल-ख़्वाँ है शुऊ'र-ए-तन्क़ीद

काग़ज़ी काकुल-ओ-रुख़्सार कहाँ से लाऊँ

शोला-ज़न दामन-ए-गीती है तो मज़मून कोई

जिंसियत-बख़्श तरहदार कहाँ से लाऊँ

दिल का पैमाना है ज़हराब-ए-अलम से लबरेज़

बुलबुल-ए-ज़मज़मा-आसार कहाँ से लाऊँ

तज़्किरे हैं क़द-ओ-गेसू के बहर-तौर अज़ीज़

मुफ़्लिसी में दिल-ए-गुलबार कहाँ से लाऊँ

तिश्नगी साहब-ए-नामा की बुझाने वालो

आबरू-बाख़्ता शहकार कहाँ से लाऊँ

अरसा-ए-दहर का हर ज़र्रा है आतिश-ब-कनार

रामिश-ओ-रंग के अशआ'र कहाँ से लाऊँ

जन्नती होने की माना कि सनद बिकती है

गंज-ए-क़ारून का अम्बार कहाँ से लाऊँ

ज़ेब-ए-तन वक़्त का पैराहन-ए-शो'ला है अभी

कैफ़-अंगेज़ मैं अफ़्कार कहाँ से लाऊँ

ख़ैर-आगाह मिरा फ़िक्र है मसरूफ़-ए-अमल

बहस-ओ-तकरार की तलवार कहाँ से लाऊँ

जान पड़ सकती है 'बेबाक' तन-ए-मुर्दा में

मर्द-ए-'फ़ारूक़' सा किरदार कहाँ से लाऊँ

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