Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_456be7b8c4abb973a7c711dadd4c6337, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रक़्क़ासा-ए-औहाम - बेबाक भोजपुरी कविता - Darsaal

रक़्क़ासा-ए-औहाम

असनाम-ए-इमारत का परस्तार है आलम

सरमाया-ए-ग़फ़लत का ख़रीदार है आलम

कटती हैं सदा सिद्क़ मक़ालों की ज़बानें

हक़-गो के लिए अर्सा-गह-ए-दार है आलम

दरवेश-ए-ख़ुदा नान-ए-शबीना को है मुहताज

गो ने'मत-ओ-इकराम का बाज़ार है आलम

शादाब है दिन-रात ग़रीबों के लहू से

अरबाब-ए-ज़र-ओ-सीम का गुलज़ार है आलम

ख़ुद ज़ाहिद-ए-सद-साला गिरफ़्तार है जिस में

वो हल्क़ा-ए-तज़वीर-ओ-फ़ुसूँ-ज़ार है आलम

हर गाम पे है शो'बदा-ए-नफ़्स का फंदा

रक़्क़ासा-ए-औहाम का दरबार है आलम

दिल ख़िज़्र का है नग़मा-ए-बे-मानी पे रक़्साँ

तहज़ीब के पाज़ेब का झंकार है आलम

इस क़हबा-ए-बाज़ारी से रखो न तवक़्क़ो'

एहसान फ़रामोश-ओ-ज़ियाँ-कार है आलम

सर रखता है आवारा-मिज़ाजों के क़दम पर

ये हक़ में वफ़ादारों के तलवार है आलम

शाइर के नहीं सीने में गुंजाइश-ए-तकिया

माना कि बहुत दिलकश-ओ-पुरकार है आलम

इस अहद-ए-पुर-आशोब में 'बेबाक' न पूछो

किस दर्जा जफ़ा-कश-ओ-सितम-गार है आलम

(1088) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Raqqasa-e-auham In Hindi By Famous Poet Bebak Bhojpuri. Raqqasa-e-auham is written by Bebak Bhojpuri. Complete Poem Raqqasa-e-auham in Hindi by Bebak Bhojpuri. Download free Raqqasa-e-auham Poem for Youth in PDF. Raqqasa-e-auham is a Poem on Inspiration for young students. Share Raqqasa-e-auham with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.