जो मकतब-ए-ईजाद में दाख़िल होगा
औज उस को फ़रोतनी से हासिल होगा
देता है तवाज़ो' का सबक़ इज्ज़-ए-हिलाल
नाक़िस इसी मदरसा में कामिल होगा
Allama Iqbal
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हवा-ए-वहशत दिल ले उड़ी कहाँ से कहाँ
ख़ूँ बहाने के हैं हज़ार तरीक़
हाँ जेहल तुम्हीं से रंग लाया फिर क्यूँ
हज़ारों दिल मसल कर पैर से झुँझला के यूँ बोले
मिस्ल-ए-हुबाब-ए-बहर न इतना उछल के चल
आवारा-ए-हिर्स दर-ब-दर फिरता है
दिल आया है क़यामत है मिरा दिल
अदाएँ ता-अबद बिखरी पड़ी हैं
चराग़-ए-हुस्न है रौशन किसी का
बेदार नहीं कोई जहाँ ख़्वाब में है
ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स
सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ