वो हटे आँख के आगे से तो बस सूरत-ए-अक्स
मैं भी इस आईना-ख़ाना से निकल जाऊँगा
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Rahat Indori
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(749) Peoples Rate This
नहीं ये आदमी का काम वाइ'ज़
ये तासीर मोहब्बत है कि टपका
वो पोशीदा रखते हैं अपना तअ'ल्लुक़
कभी हँसाया कभी रुलाया कभी रुलाया कभी हँसाया
मिस्ल-ए-हुबाब-ए-बहर न इतना उछल के चल
वही उठाए मुझे जो बने मिरा मज़दूर
पीरी की सपेदी है कि मरता हूँ मैं
आवारा-ए-हिर्स दर-ब-दर फिरता है
चराग़-ए-हुस्न है रौशन किसी का
सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ
ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स
खुला है जल्वा-ए-पिन्हाँ से अज़-बस चाक वहशत का