गौहर-ए-मक़्सद मिले गर चर्ख़-ए-मीनाई न हो
गौहर-ए-मक़्सद मिले गर चर्ख़-ए-मीनाई न हो
ग़ोता-ज़न बहर-ए-हक़ीक़त में हूँ गर काई न हो
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गौहर-ए-मक़्सद मिले गर चर्ख़-ए-मीनाई न हो
ग़ोता-ज़न बहर-ए-हक़ीक़त में हूँ गर काई न हो
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