अदाएँ ता-अबद बिखरी पड़ी हैं
अज़ल में फट पड़ा जोबन किसी का
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ऐ तन-परस्त जामा-ए-सूरत कसीफ़ है
ये तासीर मोहब्बत है कि टपका
चराग़-ए-हुस्न है रौशन किसी का
दिल आया है क़यामत है मिरा दिल
खुला है जल्वा-ए-पिन्हाँ से अज़-बस चाक वहशत का
इफ़्लास में क्यूँ टेक्स लगा रक्खा है
सच है कि जहाँ में सैर क्या क्या देखी
ख़ूँ बहाने के हैं हज़ार तरीक़
लहू टपका किसी की आरज़ू से
हवा-ए-वहशत दिल ले उड़ी कहाँ से कहाँ
आएँगे गर उन्हें ग़ैरत होगी
याद में ख़्वाब में तसव्वुर में