Ghazals of Bayan Meeruti
नाम | बयान मेरठी |
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अंग्रेज़ी नाम | Bayan Meeruti |
ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर
यार पहलू में निहाँ था मुझे मा'लूम न था
वो दरिया-बार अश्कों की झड़ी है
सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ
सर-ए-शोरीदा पा-ए-दश्त-ए-पैमा शाम-ए-हिज्राँ था
मिस्ल-ए-हुबाब-ए-बहर न इतना उछल के चल
लहू टपका किसी की आरज़ू से
ख़ूँ बहाने के हैं हज़ार तरीक़
खुला है जल्वा-ए-पिन्हाँ से अज़-बस चाक वहशत का
ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स
ग़म्ज़ा-ए-मा'शूक़ मुश्ताक़ों को दिखलाती है तेग़
दिल उचकेगी कि बिखरी है अड़ी है
चराग़-ए-हुस्न है रौशन किसी का
बदलने रंग सिखलाए जहाँ को
ऐ जुनूँ हाथ के चलते ही मचल जाऊँगा
आएँगे गर उन्हें ग़ैरत होगी