कोई समझाईयो यारो मिरा महबूब जाता है
कोई समझाईयो यारो मिरा महबूब जाता है
मिरा मक़्सूद जाता है मिरा मतलूब जाता है
मुबारक माह-ए-कनआँ ऐ ज़ुलेख़ा चश्म-ए-मा रौशन
बस इतनी बात कहने मिस्र में याक़ूब जाता है
दुआ कह कर चला बंदा सलाम आकर करेगा फिर
ख़त आवे जब तलक तो बंदगी से ख़ूब जाता है
हुनर अपने किए ज़ाहिर अगर तुझ को नहीं भाते
तो अब सौ ऐब का क़ाइल हो ये मायूब जाता है
'बयाँ' जब मैं बयाँ करता हूँ ये मज़मून मज़मूँ का
कभू आँखें भर आती हैं कभू जी डूब जाता है
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