दिल अब उस दिल-शिकन के पास कहाँ
दिल अब उस दिल-शिकन के पास कहाँ
चील के घोंसले में मास कहाँ
सब्र बीमार-ए-इश्क़ की है दवा
पर तबीअत से मेरी रास कहाँ
सुब्ह आने का उस के वादा है
मुझ को पर रात भर की आस कहाँ
दुश्मन-ए-जाँ को दोस्त समझा मैं
वो कहाँ मैं कहाँ क़यास कहाँ
क्या हुआ उस को देखते ही 'बयाँ'
होश कीधर गए हवास कहाँ
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